दुनिया भर में लोगों की सेवा के लिए पहला नाम अगर किसी का आता है तो वह है गुरुद्वारों का. यहां लोगों को मुफ्त में हर तरह से मदद की जाती है. चाहे वह भोजन की मदद हो या रहने की यहां के लोग सभी जाति, धर्म और वर्ण के लोगों की मदद करते हैं. ऐसे ही कुछ इन दिनों दिल्ली में देखने को मिल रहा है. किसानो की लम्बी रैली दिल्ली में निकाली जा रही है. जहां पर सारे किसान जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं.
विभिन्न राज्यों के 210 किसान संगठनों ने गुरुवार सुबह से ही रामलीला मैदान में डेरा डालना शुरू कर दिया था. शाम होते-होते किसानों की संख्या बढ़ती गई. रात 12 बजे के बाद से बड़ी संख्या में किसानों से भरी हुई बसें रामलीला मैदान पहुंची तो आस-पास के इलाके में चहल-पहल बढ़ गई. दूर-दराज से आने वाले किसानों के लिए देर रात तक लंगर चला.
कुछ किसानों ने बताया कि रोजाना गुरुद्वारे से लंगर खाकर गुजारा कर रहे हैं. यहां के बाकी प्रदर्शनकारियों के लिए अलग से रोजाना गुरुद्वारा कमिटी की ओर से लंगर आता है. कुछ किसान बताते हैं कि जंतर मंतर पर सैकड़ों की संख्या में लोग प्रदर्शन करने आते हैं या बैठे हैं. इनके लिए वॉशरूम और टॉयलेट की कमी है. ऐसे में कुछ गुरुद्वारे में जाकर नहा भी आते हैं.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के प्रेजिडेंट मनजीत सिंह जीके ने इस मुद्दे पर कहा कि गुरुद्वारा किसी की जात या रंग देखकर सेवा नहीं करता. यहां कोई भी जरूरतमंद आ सकता है और गुरु का लंगर छक सकता है. उन्होंने बताया कि नोटबंदी के दौरान कर्नाटक से कुछ महिलाएं प्रदर्शन के दौरान आईं थीं और उनके पास पैसे नहीं थे. उनकी मदद भी गुरुद्वारा बंगला साहिब ने की थी. गोलक से खुले पैसे दिए गए और यहां उनके खाने और रहने का इंतजाम किया गया. बताया कि पिछले डेढ़ साल से रोजाना जंतर-मंतर बंगला साहिब से स्पेशल लंगर जिसमें दाल, सब्जी, रोटी, चावल भेजा जा रहा है.