पैन यानी पर्मानेंट अकाउंट नंबर या स्थायी खाता संख्या दस अंकों की संख्या होती है. जिसे आयकर विभाग द्वारा एक लैमिनेटेड कार्ड के रूप में जारी किया जाता है. आयकर रिटर्न और किसी भी आयकर अधिकारी के साथ सभी पत्राचार के लिए पैन लिखना अनिवार्य होता है. अचल संपत्ति या मोटर वाहन का क्रय और विक्रय, बिक्री या होटल और रेस्तरां या किसी भी देश की यात्रा के संबंध में रु. 25,000 रुपए से अधिक राशि का नकद भुगतान करने के लिए भी पैन का उल्लेख करना अनिवार्य होता है.
इसी तरह किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में रु. 50,000 रुपए से अधिक एक समय में जमा या एक बैंक में रु. 50,000 रुपए या उससे अधिक नकद जमा करने पर भी पैन का अनिवार्य रूप से उपयोग होता है. हाल ही में पैन को लेकर तीन बड़े बदलाव किए गए हैं. जिन्हें आज दिनांक 5 दिसम्बर से लागू किया जाएगा.
1. सबसे पहला बदलाव पैन कार्ड की डिजाइन में किया गया है. नए पैन कार्ड में आवेदक का नाम, पिता या मां का नाम, जन्मतिथि और पैन नंबर के अलावा क्यूआर कोड भी मौजूद होगा. इस कोड में आवेदक का फोटो, उसका साइन समेत उसकी तमाम जानकारी मौजूद रहेगी. इस क्यूआर कोड के जरिए कार्ड होल्डर की जानकारी डिजिटली साइंड और कोडेड होंगी. हालांकि बता दें कि नए पैन के साथ-साथ पुराने पैन कार्ड भी मान्य रहेंगे.
2. पैन कार्ड को सिंगल पैरेंट्स वाले आवेदकों के लिए आसान बनाते हुए इसके आवेदन फॉर्म में बदलाव किया गया है. आयकर विभाग ने एक अधिसूचना के जरिए आयकर नियमों में संशोधन किया है. जिसमें आवेदकों को विकल्प दिया गया है. इसके अनुसार आवेदक अपने माता-पिता के अलग होने की स्थिति में अपनी मां का नाम भी फॉर्म में चुन सकते हैं. 5 दिसंबर से यह नियम लागू हो जाएगा और आवेदकों के पास मां का नाम भरने की भी सुविधा होगी.
3. पैन कार्ड में एक और बदलाव किया गया है जिसमें आयकर विभाग ने अधिसूचना जारी कर एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय लेन-देन करने पर पैन कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. विभाग ने एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख से अधिक की लेन-देन करने वाली नॉन-इंडीविजुएल के लिए पैन कार्ड को अनिवार्य कर दिया है.