हमारे देश को आजाद हुए इस 15 अगस्त को 73 वर्ष हो रहे हैं. इन 73 वर्ष में आपने देश की आजादी से जुड़े कई किस्से सुने भी होंगे. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर क्यों भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त तय हुआ? ये दिन किसने तय किया? चलिए हम बताते हैं कि आखिर किसने भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त तय किया था.
भारत कब आजाद होगा इस बात की जानकारी तब से करीब ढाई महीने पहले ही लग गई थी. दरअसल 15 अगस्त के करीब ढाई महीने पहले ही लॉर्ड माउंटबेटन महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे के लिए मना चुके थे. इसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताया था कि आखिर कैसे भारत और पाकिस्तान को बांटा जाएगा. इसी बीच एक पत्रकार ने लॉर्ड माउंटबेटन से यह पूछा कि, “जब आप अभी से भारत को सत्ता सौपें जाने वाले समय तक के कार्यों में तेजी लाने की बात कर रहे हैं तो क्या आपने वो तिथि तय की है जब भारत सत्ता सौपीं जाएगी?” ये सवाल सुनकर माउंटबेटन भी थोड़ा हिचकिचा गए, और उन्होंने कहा, “हां यकीनन ये दिन तय हो गया है.” इसके बाद जब पत्रकार ने पूछा कि “आखिर वह दिन है कौनसा”? तो माउंटबेटन ने कोई भी जवाब नहीं दिया, क्योंकि उस वक्त उनके पास कोई भी तारीख तय नहीं थी.
ऐसे में पूरे सभागार में बैठे लोग यही जानने को बेताब थे कि आखिर वह कौन सी तारीख है जब भारत आजाद होने वाला है. लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह थी कि, जैसे ही जब माउंटबेटन से यह प्रश्न किया गया था तब उनके दिमाग में कई तिथियां चलने लगी थीं. इसके बाद उन्होंने 15 अगस्त तिथि को मन में ही विचार कर लिया था. इसके बाद उन्होंने सभागार में बैठे लोगों को इस तिथि के बारे में बताया था.
तिथि बताते हुए लॉर्ड माउंटबेटन ने बड़े उत्साह से कहा था, “मैंने तिथि तय कर ली है और ये तिथि है 15 अगस्त 1947”. इसी के साथ वह दिन तय हो जाता है जब भारत को अंग्रेजों की सैकड़ों साल की गुलामी से आजादी मिलने वाली होती है.
जब इस तिथि के बारे में देश के ज्योतिषियों को पता चला तो उन्होंने इस तिथि का कड़ा विरोध किया था. दरअसल 15 अगस्त को शुक्रवार था और ज्योतिषियों का मानना था कि यदि इस दिन भारत आजाद होता है तो कोहराम मच जाएगा. कलकत्ता के एक महान संत ने तो लॉर्ड माउंटबेटन को चिट्ठी लिख तिथि बदलने तक की बात कही थी. लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन इस तिथि में कोई बदलाव नहीं किया और इस तरह से आखिरकार 15 अगस्त को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई.